Sonbhadra News l Sonprabhat l Ashish Gupta/Babulal Sharma
म्योरपुर, सोनभद्र l अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रासपहरी में युवा मंच द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों, सामाजिक स्थिति और लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा की गई।
गोष्ठी की अध्यक्षता युवा मंच की जिलाध्यक्ष रूबी सिंह गोंड ने की, जबकि संचालन जिला संयोजक सविता गोंड ने किया। इस दौरान वक्ताओं ने महिलाओं के समता और अधिकारों पर आधारित एक विशेष पर्चा पढ़ा, जिसमें महिलाओं को समान अवसर देने और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
महिलाओं को अभी भी नहीं मिल रहा बराबरी का अधिकार
गोष्ठी में चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि संविधान द्वारा महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने के बावजूद, उन्हें समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिलता। पैतृक संपत्ति और कृषि भूमि में महिलाओं के अधिकारों को अब भी पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा, महिलाओं को सामाजिक, मानसिक और शारीरिक शोषण का भी सामना करना पड़ता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष महिला दिवस को ‘बराबरी का अधिकार दिवस’ के रूप में मनाने की अपील की है, जिसके तहत महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकार पूरी तरह से दिलाने की जिम्मेदारी सरकार की बनती है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर विशेष जोर
गोष्ठी में वक्ताओं ने महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सोनभद्र में लड़कियों के लिए कोई सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती हैं।
महिला स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी जोर देते हुए वक्ताओं ने कहा कि प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु दर अधिक है, कुपोषण और खून की कमी की समस्या गंभीर बनी हुई है। सरकारी अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी भी महिलाओं की सेहत को प्रभावित कर रही है।
आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग
गोष्ठी में महिला सशक्तिकरण और आर्थिक स्वतंत्रता पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह का अधिक प्रचार तो किया जाता है, लेकिन उनका महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने में योगदान नगण्य है।
वक्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि देश के 200 बड़े पूंजी घरानों की संपत्ति पर टैक्स लगाकर इतने संसाधन जुटाए जा सकते हैं, जिससे महिलाओं और आम नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित किया जा सकता है।
गोष्ठी में शामिल हुए प्रमुख लोग
इस अवसर पर गुंजा गोंड, राजकुमारी गोंड, एआईपीएफ जिला संयोजक कृपाशंकर पनिका, प्रमिला पनिका, अनिता गोंड, दिनेशचंद्र यादव, रेशमा कुमारी, जुगनू सिंह और दुखनी देवी समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे।
गोष्ठी के अंत में युवा मंच की ओर से सरकार से अपील की गई कि महिलाओं को उनके अधिकार देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए प्रभावी नीतियां बनाई जाएं।
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