Deepak Tiwari, guilty of kidnapping, gets 7 years of rigorous imprisonment and a fine of Rs 30,000.
Sonbhadra News Today : Rajesh Pathak / Sonprabhat News
सोनभद्र। साढ़े 7 वर्ष पूर्व 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में शुक्रवार को अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी दीपक तिवारी को 7 वर्ष की कठोर कैद और 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि दोषी अर्थदंड का भुगतान नहीं करता है, तो उसे 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। इस फैसले में यह भी तय किया गया कि अर्थदंड की धनराशि में से 25 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे।
क्या था मामला?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह मामला पिपरी थाना क्षेत्र के एक गांव का है। पीड़िता के पिता ने 9 सितंबर 2017 को पिपरी थाने में तहरीर दी थी कि उनकी 17 वर्षीय बेटी शाम 6 बजे रेणुकूट बाजार गई थी, लेकिन वह वापस नहीं लौटी। परिवार ने उसकी काफी खोजबीन की, मगर कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद एक मित्र से जानकारी मिली कि दीपक तिवारी पुत्र राजेंद्र तिवारी के घर पर ताला बंद है। इससे पीड़िता के पिता को संदेह हुआ कि उनकी बेटी को दीपक तिवारी बहला-फुसलाकर भगा ले गया है।
पीड़िता के पिता की शिकायत पर पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर जांच शुरू की। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की।
अदालत में चला लंबा ट्रायल
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों के बीच लंबी बहस चली। सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से ठोस तर्क और गवाहों की गवाही प्रस्तुत की। अदालत ने सभी साक्ष्यों, गवाहों के बयान और पत्रावली का गहन अवलोकन किया। अंततः अदालत ने दीपक तिवारी को दोषी करार देते हुए 7 वर्ष की कठोर कैद और 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को मिलेगी
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अर्थदंड की 30 हजार रुपये की धनराशि में से 25 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएं, जिससे उसे कुछ आर्थिक सहायता मिल सके।
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न्यायपालिका का सख्त संदेश
इस फैसले से न्यायपालिका ने स्पष्ट संदेश दिया कि महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराध करने वालों को कड़ी सजा भुगतनी होगी। यह निर्णय पीड़ित परिवार के लिए न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सबक है कि नाबालिगों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता जरूरी है। ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।
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