June 23, 2025 7:44 PM

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Sonbhadra News : बीजपुर कंपोजिट विद्यालय में तीन महीनों से जारी उथल-पुथल, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

Sonbhadra News : बीजपुर कंपोजिट विद्यालय में तीन महीनों से जारी अव्यवस्था, प्रधानाध्यापक की नियुक्ति लंबित – अभिभावकों की शिकायतों पर प्रशासन मौन, शिक्षा व्यवस्था पर मंडराया संकट

Sonbhadra News | Sonprabhat | Ashish Gupta

बीजपुर, सोनभद्र। नीति आयोग द्वारा मॉनिटर किए जा रहे सोनभद्र जिले के बीजपुर कंपोजिट विद्यालय में बीते तीन महीनों से जारी राजनीतिक खींचतान, साजिश और षड्यंत्र के बीच प्रशासन की निष्क्रियता अब गंभीर चर्चा का विषय बनती जा रही है। अभिभावकों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि जांच के नाम पर शिकायतकर्ताओं को गोल-गोल घुमाया जा रहा है, जबकि जिले के अधिकारी मामले को हल्के में ले रहे हैं।

तीन महीने से प्रधानाध्यापक विहीन विद्यालय, नए सत्र पर मंडराया संकट

तीन दिन बाद नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन विद्यालय में अभी भी प्रधानाध्यापक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। ऐसे में वार्षिक परीक्षा के परिणामों की घोषणा और टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) जारी करने की प्रक्रिया को लेकर अभिभावकों में गहरी चिंता है। जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासनिक तंत्र मौन धारण किए हुए हैं, जिससे विद्यालय का संचालन अव्यवस्थित हो गया है।

“पूछो आम, बताओ इमली” जैसी रिपोर्टिंग से अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल

बीईओ विश्वजीत पर आरोप है कि वे अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों को विद्यालय की वास्तविक स्थिति से गुमराह कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी अभिभावकों ने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन वहां भी गलत रिपोर्ट लगाकर मामले को “स्पेशल क्लोज” कर दिया गया।

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छात्र संख्या में गिरावट, अभिभावकों ने चुने प्राइवेट स्कूल

बीते वर्ष विद्यालय में नामांकन में 20% की गिरावट दर्ज की गई थी। छात्र संख्या 411 से घटकर 340 पर पहुंच गई। अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय में चल रही राजनीति और शिक्षकों के मनमाने स्थानांतरण के कारण वे बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को मजबूर हो गए।

प्रशासनिक लापरवाही से बिगड़ रहा सरकारी शिक्षा का भविष्य

विद्यालय में तीन महीने से जारी अव्यवस्था और अधिकारियों की निष्क्रियता ने अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को भेजने पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। सवाल यह है कि क्या नए शैक्षणिक सत्र में छात्र संख्या और घटेगी, या प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएगा?

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