Sonbhadra News | Sonprabhat | Vinod Gupta
बीजपुर (सोनभद्र)। थाना क्षेत्र अंतर्गत जरहा गांव के पौथीपाथर टोले में बुधवार सुबह एक ट्रेलर से सड़क पर अनावश्यक रूप से राख गिरने के कारण ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। राख के ढेर से नाराज सैकड़ों ग्रामीणों ने रेणुकूट-बीजपुर मार्ग को जाम कर प्रदर्शन किया, जिससे कई घंटे तक आवागमन बाधित रहा। इस दौरान स्कूली बच्चे, श्रमिक और आम राहगीर जाम में फंसे रहे और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
ग्रामीणों का आरोप: राख प्रबंधन में लापरवाही से बढ़ रहा प्रदूषण
प्रदर्शन कर रहे अर्जुन केशरी, विवेक केशरी, राकेश, अनुराग, नंदू, मुन्नीलाल केशरी, प्रमोद, सुजीत, अमित, शिवकुमार और अजीत कुमार सहित अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एनटीपीसी राख प्रबंधन की शह पर परिवहन में लगे वाहन चालक मनमानी कर रहे हैं। सड़क पर राख गिरने और लगातार उड़ने से जनजीवन नारकीय हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा राख के निस्तारण के लिए उचित व्यवस्था नहीं की जा रही है, न ही सड़क पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे रिहंद राख बांध से लेकर बकरिहवा तक प्रदूषण फैल रहा है। राख के कारण घरों में कपड़े, राशन, बर्तन, फसलें और पानी तक दूषित हो रहा है।
सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की मांग
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि एनटीपीसी प्रबंधन जल्द ही राख से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं करता, तो भविष्य में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इस तरह की घटनाएं स्थानीय पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं, इसलिए सतत विकास के तहत राख के उचित निस्तारण, प्रदूषण नियंत्रण और पानी छिड़काव जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए।
प्रशासन की पहल से हुआ समाधान
सूचना मिलने पर उपनिरीक्षक श्रवण कुमार यादव, जिला पंचायत सदस्य रामविचार गोंड और ग्राम प्रधान पति विनोद भारती पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया। राख प्रबंधन ठेकेदार से समय-समय पर पानी छिड़काव कराने और सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने जैसी शर्तों पर सहमति बनी, जिसके बाद तीन घंटे बाद सड़क जाम समाप्त हुआ और यातायात सामान्य हुआ।
स्थायी समाधान की जरूरत
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्थानीय प्रशासन और एनटीपीसी प्रबंधन को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत प्रदूषण नियंत्रण की ठोस योजना बनानी होगी। यदि राख प्रबंधन को वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नियंत्रित किया जाए, तो न केवल ग्रामीणों की समस्याएं दूर होंगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा। इस घटना से प्रशासन को सीख लेनी होगी और स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसे प्रदूषणकारी गतिविधियों को रोका जा सके और ग्रामीणों को बेहतर जीवन स्तर मिल सके।

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