June 23, 2025 2:17 PM

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Sonbhadra News : वर्षा जल प्रबंधन से संभव होगी जल आपूर्ति, जल संकट का समाधान जरूरी, जल संरक्षण और प्रबंधन पर जोर, विशेषज्ञों ने बताए उपाय

Sonbhadra News : जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव, जल प्रबंधन से बढ़ सकती है कृषि उत्पादकता

Sonbhadra News |Sonprabhat | Babulal Sharma

म्योरपुर, सोनभद्र। जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए वर्षा जल का सही प्रबंधन और संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। गोविंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम में आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जल, जंगल और जमीन प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन और ऋतुचक्र में बदलाव के कारण भूमिगत जल स्तर तेजी से घट रहा है, जिससे सूखा और अतिवृष्टि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

वर्षा जल का केवल 35% हो रहा उपयोग

डॉ. अजय कुमार ने बताया कि देश में होने वाली वर्षा का मात्र 35% जल ही संरक्षित किया जाता है, जबकि शेष जल नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है। इसके अलावा, हर वर्ष लगभग 55 करोड़ ट्रक उपजाऊ मिट्टी भी बाढ़ के साथ बहकर अन्य स्थानों पर चली जाती है, जिससे खेती और वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि गांवों में ही वर्षा जल का संचयन कर भूमिगत जल स्तर को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा, “गांव की मिट्टी गांव में और गाँव का पानी गाँव में रोका जाए, तो जल संकट की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।”

जल प्रबंधन से बढ़ सकती है कृषि उत्पादकता

विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में पर्याप्त वर्षा होती है, लेकिन जल प्रबंधन सही न होने के कारण इसका समुचित उपयोग नहीं हो पाता। जिन देशों ने जल प्रबंधन को प्राथमिकता दी है, वहां कृषि उत्पादकता भारत की तुलना में डेढ़ से दो गुना अधिक है।

जल वितरण में असमानता एक गंभीर समस्या

डॉ. अजय कुमार ने पानी के असमान वितरण पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि

  • ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मात्र 55 लीटर पानी मिलता है, जबकि
  • शहरी क्षेत्रों में यह मात्रा 250 लीटर होती है।
  • फाइव-स्टार होटलों में प्रति व्यक्ति जल खपत 15,000 लीटर तक पहुंच जाती है

उन्होंने इसे एक गंभीर विडंबना बताते हुए कहा कि “जल का संरक्षण करने वाला किसान खुद जल संकट से जूझ रहा है, जबकि इसका उपभोग बड़े शहरों और होटलों में अधिक हो रहा है।”

जल संरक्षण के सफल उदाहरण

उन्होंने रालेगन सिद्धि और हिवरे बाज़ार गांवों का उदाहरण देते हुए बताया कि सुनियोजित जल प्रबंधन के माध्यम से इन गांवों में जल संकट को दूर किया गया। देशभर में कई स्थानों पर वृक्षारोपण, जल संचयन और सामूहिक जल संरक्षण योजनाओं से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

सामूहिक प्रयासों की जरूरत

उन्होंने सुझाव दिया कि गांवों में जल प्रबंधन, वृक्षारोपण, चारा और ईंधन प्रबंधन जैसे कार्य सामूहिक रूप से किए जाने चाहिए। इसके लिए सर्वेक्षण और सभी की भागीदारी आवश्यक है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग रहे मौजूद

इस कार्यक्रम में केवला दुबे, उमेश चौबे, राकेश कुमार, रघुनाथ, शिवनारायण, प्रदीप कुमार पाण्डेय, नीरा, मीना, अभिषेक शर्मा, मोनिका यादव सहित लगभग 70 प्रतिभागी उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने जल संरक्षण और प्रबंधन के महत्व को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उपस्थित लोगों को जल संकट से निपटने के लिए प्रभावी समाधान अपनाने की प्रेरणा दी।

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