रामचरितमानस-: कपि के ममता पूँछ पर, सबहिं कहउं समुझाइ।तेल बोरि पट बाँधि पुनि, पावक देहु लगाइ। – मति अनुरुप- अंक 44. जयंत प्रसाद
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रामचरितमानस-: कपि के ममता पूँछ पर, सबहिं कहउं समुझाइ।तेल बोरि पट बाँधि पुनि, पावक देहु लगाइ। – मति अनुरुप- अंक 44. जयंत प्रसाद

सोन प्रभात – (धर्म, संस्कृति विशेष लेख) रामचरितमानस – जयंत प्रसाद (प्रधानाचार्य – राजा चंडोल इंटर कॉलेज, लिलासी/ सोनभद्र) -मति अनुरुप- ॐ साम्ब शिवाय नमः ॐ श्री हनुमते नमः कपि के ममता पूँछ पर, सबहिं कहउं समुझाइ। तेल बोरि पट बाँधि पुनि, पावक देहु लगाइ। यह प्रसंग सुंदरकांड के लंका दहन की भूमिका प्रसंग है…