- मीडिया कर्मी से बदसलूकी के लिए ग्रामीणों को उकसा रहे वनकर्मी।
- डीएफओ एमपी सिंह ने मीडिया वार्ता के दौरान बदसलूकी का षड्यंत्र के लिए उकसाने के संदर्भ में कर्मी को डांटने की बात कह कर पल्ला झाड़ा।
- धारा 20 की जमीन से ग्रामीणों के बेदखली को हथियार बना रहे वनकर्मी।
विंढमगंज- सोनभद्र
पप्पू यादव/ जितेंद्र चन्द्रवंशी
विंढमगंज सोनभद्र। रेनुकूट वन प्रभाग के विंढमगंज वन रेंज के अंतर्गत बड़ा बासीन के जंगल में कटे 7 पेड़ो की लकड़ियों की बरामदगी अभी तक वन विभाग की अधिकारी नहीं कर सके हैं| सात पेड़ो के सापेक्ष सिर्फ दो पेड़ो की ही लकड़ियां बरामद हो सकी हैं, शेष कटे पेड़ो को ना तो विभाग ढूंढ सका है, और ना ही उन कटे पेड़ो की लकड़ियां ही बरामद कर सका है।
“हाँ ग्रामीणों को उकसा जरूर दिया गया हैं कि कोई भी मीडियाकर्मी गांव में इधर दिखे तो उनकी मोबाइल लूट ली जाए और उन्हें मार पीट कर खदेड़ दिया जाए|”
विभाग के नाकाम अधिकारी जब वह भूमि से कब्जा नहीं हटा पा रहें और अवैध कटान कर्ताओं पर कार्रवाई नहीं कर पा रहें हैं, तो कब्जेधारियों व ग्रामीणों को खुलेआम मीडियाकर्मियों के खिलाफ भड़का रहें हैं|
सूत्र बताते है, कुछ दिनों पहले बड़ा बासीन गांव में गए एक अधिकारी सहित वनकर्मी को जब कटे पेड़ो की ठूंठ नहीं पा सकें । तो उन्होंने उलटा ग्रामीणो को भड़काना शुरू कर दिया कि कोई भी मीडियाकर्मी आये तो उसको गांव से पीटकर खदेड़ दे और आगे वे समझ लेंगे| साथ ही ये भी कहने की खबर है – कहा कि ‘गांव की महिलाओं को मीडियाकर्मियों से उलझा दें|’
उधर पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है, कि जब अखबारों में वन भूमि में अवैध कब्जों व जंगल की कटान की खबर प्रकाशित हुई तो विभाग के हाथ पांव फूलने लगे और दिखावे मात्र की कार्रवाई कर औपचारिकताएं पूरी कर दी गयी। जब मीडिया कर्मी कार्रवाई पर सवाल सहित कटान और अवैध कब्जों की खबर उठाने लगे तो रेंज के बड़े साहब ग्रामीणों से मिलकर मीडियाकर्मियों के खिलाफ साजिश रचने में जुट गए हैं। ” मीडियाकर्मियों को गांव आते ही खदेड़ो नहीं तो बड़ा बासीन के वे ग्रामीण जिन्होंने धारा 20 के कब्जे से बेदखल कर देंगे |” विंढमगंज रेंज के अधिकारियों द्वारा मीडियाकर्मियों के खिलाफ गोलबंद करना कहीं ना कही भविष्य में मीडियाकर्मियों के विरुद्ध ऐसे भड़काना अपराध को बढ़ावा देना जैसा है।
- मामले पर क्या कहते हैं? डीएफओ एम0पी0 सिंह-
– वनकर्मियों द्वारा ग्रामीणों को उकसाने के मामले में डीएफओ एमपी सिंह ने कहा कि जंगल मे अनाधिकृत रूप से प्रवेश वर्जित होता हैं, ऐसे में वन अधिनियम में कार्रवाई हो सकती है ,लेकिन मीडियाकर्मी के प्रति अगर ग्रामीणों को उकसाया जा रहा है, तो यह गलत है, अभी मैं संबंधित कर्मी को डांटता हूं। उधर मीडियाकर्मियों ने मुख्य वन संरक्षक को ध्यान आकृष्ट कर मामले जांच करवाने की मांग की है।
- कब कटे थे पेड़ ?
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प्रकृति हनन-: विंढमगंज वन रेंज में कट गए कई पेड़, वन विभाग की भूमिका संदिग्ध, ग्रामीणों में आक्रोश।
बता दे कि “30 जुलाई की रात विंढमगंज रेंज के बड़ा बासीन के सुरसा नाला में एक साखू व एक आसन,दोमुंहनी नाला में दो साखू ,चरकपथली में 1 साखू व एक आसन्न तथा पकडेवा नाला में 1 भारी भरकम साखू का हरा पेड़ काट दिए गए थे|”
सोनप्रभात अपने लेख के माध्यम से शासन प्रशासन जनहित को ध्यान में रखते हुए ऐसे गैर जिम्मेदार जो कई वर्षों से एक ही क्षेत्र में तैनात हैं का संज्ञान लेकर अन्यत्र स्थानांतरण करने की मांग करता है। जिससे जंगल माफिया और वन विभाग के गठजोड़ को तोड़ा जा सके अन्यथा मीडिया के साथ भी किसी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता जिसकी जिम्मेदारी शासन की होगी ।
Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.