लेख – एस ० के ० गुप्त “प्रखर” – सोन प्रभात
बेटी दिवस इस बार भारत में 26 सितंबर को मनाया जा रहा है। हर साल इसे सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाने की परंपरा है। कुछ देशों में इसे 25 सितंबर तो कुछ में 1 अक्टूबर को भी मनाया जाता है, लेकिन, बच्चियों के सम्मान और समानता के प्रतीक वाला यह दिवस अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों में भी 27 सितम्बर को ही मनाया जा रहा है।

पहले के जमाने में लड़के होने पर खुशियां और लड़की होने पर मातम जैसा माहौल बना दिया जाता था। एक लड़की के जन्म को कलंक के जोड़ने की परंपरा थी। हालांकि, देश के कई हिस्सों में आज भी बेटियों को कलंक मान कर उनकी अनदेखी की जाती है और सही से पालन पोषण नहीं किया जाता है, इसी विचारधारा को मिटाने के लिए बेटी दिवस (डॉटर्स डे) मनाने की परंपरा शुरू की गयी है, ताकि लोग लड़कियों के साथ हो रहे इस भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़े और लिंग के बीच समानता को बढ़ावा मिले।
भले ही हम चाहे कितना ही खुद को विकसित मान ले लेकिन आज भी समाज का एक तबका बेटियों को अभिशाप मानता है, दुनिया में लोग विकास के बड़े बड़े दावे भी करते है, लेकिन इसी समाज में बेटी माँ बाप के लिए किसी बोझ से कम नही मानी जाती है इसका मुख्य कारण दहेज़ प्रथा भी है आज भी इन बेटियों को सामजिक भेदभाव, दहेज़ प्रथा, शारीरिक शोषण, अधिकारों में भेदभाव जैसे अनेक समाजिक कुरूतियो का सामना करना पड़ता है इन सब के बावजूद यही लड़किया समाज में आगे बढकर विकास के हर क्षेत्र में अपना नाम कमा रही है।
लेकिन जरा सोचिये अगर इस धरती पर बेटियाँ ही नही रहे तो एक समय बाद इस समाज का वंश ही रुक जाएगा फिर वो दिन भी दूर नही होगा जब इस धरती से इन्सान का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा इसी कारण समाज से अब बेटे बेटी के बीच के फर्क को दूर करने के खातिर समाज में अब बेटी दिवस Daughters Day मनाने की परम्परा की शुरूआत हुई है जिसका मुख्य उद्देश्य बेटे बेटी के बीच को खत्म करते हुए उन्हें समाज में फैले हुए कुरूतियो से बचाना है।
बेटे भाग्य से होते हैं….. पर बेटियाँ सौभाग्य से होती हैं, बेटा अंश हैं तो बेटी वंश हैं, बेटा आन हैं तो बेटी शान हैं लक्ष्मी का वरदान हैं बेटी, धरती पर भगवान हैं बेटी।
आज बेटी दिवस, बेटियों के प्रति अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों को पूरा करने का संकल्प लेने का दिन है। आज हमारी बेटियाँ हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर देश को गौरवान्वित कर रही हैं।
1 :- जैसी बेटियों को संस्कार देंगे वैसे ही समाज का वे निर्माण करेगी।
2 :- बेटे तो सिर्फ एक घर चलाते है लेकिन बेटिया दो दो घरो को स्वर्ग बनाती है।
3 :- यदि समाज को शिक्षित करना है तो सबसे पहले बेटियों को शिक्षित करो।
4 :- बेटियों का भविष्य जैसा होंगा वैसा ही हमारे समाज का भविष्य होगा।

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