January 21, 2025 9:30 AM

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महाकुंभ 2025 : अमृत की खोज और भारतीय संस्कृति की एकता का प्रतीक

महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और एकता का प्रतीक है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर, हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं। जब लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं और ‘हर-हर गंगे’ का जयघोष करते हैं, तो उनकी सारी भौतिक पहचान पीछे छूट जाती है।

Sonbhadra Digital Desk

महाकुंभ 2025 : कहते हैं कि युगों पहले, अमृत की खोज के लिए सागर का मंथन किया गया था। अमृत तो निकला, लेकिन उसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच भीषण संघर्ष छिड़ गया। यह संघर्ष इसलिए नहीं था कि अमृत दुर्लभ था, बल्कि इसलिए कि दोनों पक्ष केवल अपने अधिकार की सोच में डूबे थे। परिणामस्वरूप, छीना-झपटी में अमृत कलश से अमृत छलककर अलग-अलग स्थानों पर गिर गया।

यह कहानी सिर्फ पौराणिक नहीं है; इसका संदेश आज भी भारतीय जनमानस को प्रेरित करता है। अमृत की यह खोज हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हर बार महाकुंभ के रूप में हमें एकजुट करती है।

महाकुंभ: आस्था और एकता का संगम

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और एकता का प्रतीक है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर, हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं। जब लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं और ‘हर-हर गंगे’ का जयघोष करते हैं, तो उनकी सारी भौतिक पहचान पीछे छूट जाती है। यह स्थान सांसारिकता के सागर का मंथन करने और एकता का अमृत प्राप्त करने का माध्यम बनता है।

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन

महाकुंभ 2025 का आयोजन इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा है। यह आयोजन भारत की प्राचीन परंपराओं का हिस्सा है, जो हर 12 वर्षों में देश के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।

कुंभ के आयोजन की प्रक्रिया

महाकुंभ की तिथियां और स्थान खगोलीय गणनाओं के आधार पर तय किए जाते हैं। ज्योतिषी और विद्वान ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन कर यह निर्णय लेते हैं। इसके बाद, आयोजन से जुड़ी तैयारियां शुरू होती हैं।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ केवल आस्था का पर्व नहीं, यह भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता को दर्शाने का सबसे बड़ा मंच है। लाखों की संख्या में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां अपने मतभेद भूलकर एक साझा अनुभव में भाग लेते हैं। यह आयोजन जीवन की क्षणभंगुरता का बोध कराते हुए हमें अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ता है।

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आइए, इस अमृतमय आयोजन का हिस्सा बनें

महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह अवसर है हमारे भीतर के भेदभाव को मिटाकर, एकता और प्रेम के अमृत को ग्रहण करने का। इस बार प्रयागराज आपको आमंत्रित करता है, इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए।

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