January 16, 2025 1:50 AM

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प्रयागराज महाकुंभ की तैयारी लगभग पूरी, पहला शाही स्नान 13 जनवरी को

प्रयागराज महाकुंभ की शाही स्नान की तारीखों का ऐलान, 13 जनवरी को विशेष मुहूर्त में स्नान, दान और दीपदान से मिलेगा पुण्य

Sonprabhat News/Report: Digital Desk

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। प्रयागराज को विशेष रूप से महत्व प्राप्त है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। यह संगम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

महाकुंभ का आयोजन चार प्रमुख स्थलों पर होता है, जिनमें प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार शामिल हैं। महाकुंभ का आयोजन देशभर के साधु संतों और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही आत्मा और शरीर की शुद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है। महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा को विशेष महत्व दिया जाता है।

शाही स्नान की परंपरा

अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम के अनुसार, महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा में सबसे पहले साधु संत गंगा के पवित्र जल में स्नान करते हैं, उसके बाद आम श्रद्धालु इस पुण्य अवसर का लाभ उठाते हैं। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल चमत्कारी गुणों से भर जाता है, जो स्नान करने वालों के लिए अत्यंत शुभ होता है।

महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान

हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ 2025 में पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होगा। यह स्नान सुबह 5:03 बजे से शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3:56 बजे तक चलेगा। इस दौरान विशेष मुहूर्त भी होंगे, जिनमें ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21 तक रहेगा, और विजय मुहूर्त 2:15 से 2:57 तक रहेगा। श्रद्धालुओं को इन मुहूर्तों का ध्यान रखते हुए स्नान करना चाहिए।

शाही स्नान के नियम और पुण्य के उपाय

महाकुंभ के शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। इस दौरान संपूर्ण अथवा शैंपू का प्रयोग वर्जित माना जाता है, क्योंकि यह पवित्र जल को अशुद्ध कर सकता है। स्नान के बाद श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अनुसार दान पुण्य कर सकते हैं। विशेष रूप से दीपदान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह कार्य विशेष महत्व रखता है।

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महाकुंभ के इस महान अवसर पर प्रयागराज में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ इस अद्भुत धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनेंगे।

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