January 21, 2025 7:10 AM

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महाकुंभ 2025: 12 साल बाद महाकुंभ का रहस्य और ग्रहों की स्थिति से लेकर पौराणिक महत्व तक की पूरी कहानी

Digital Desk

महाकुंभ 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां बड़े स्तर पर शुरू हो चुकी हैं। यह भव्य आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।

महाकुंभ का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

महाकुंभ का सीधा संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति को लेकर संघर्ष हुआ, तो अमृत कलश की बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं –

  1. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
  2. हरिद्वार (उत्तराखंड)
  3. उज्जैन (मध्य प्रदेश)
  4. नासिक (महाराष्ट्र)

इन्हीं चार पावन स्थलों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज को “तीर्थराज” यानी तीर्थों का राजा कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां प्रथम यज्ञ किया था। इसी कारण से प्रयागराज का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

12 साल बाद ही क्यों लगता है महाकुंभ?

महाकुंभ हर 12 साल बाद आयोजित होने के पीछे ज्योतिषीय गणनाओं का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए 12 दिनों तक संघर्ष हुआ था, जो मानव समय के अनुसार 12 वर्षों के बराबर है। इसी कारण से हर 12 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन होता है।

ज्योतिषीय कारण: ग्रहों की स्थिति का प्रभाव

महाकुंभ का आयोजन ग्रहों की विशेष स्थितियों के आधार पर किया जाता है:

  1. प्रयागराज महाकुंभ: जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं।
  2. हरिद्वार कुंभ: जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं।
  3. नासिक कुंभ: जब बृहस्पति और सूर्य सिंह राशि में होते हैं।
  4. उज्जैन कुंभ: जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं।

अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ज्योतिषीय आधार भी हमारी आध्यात्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।

महाकुंभ का आध्यात्मिक अनुभव

महाकुंभ में संगम तट पर स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर तप, दान, और धार्मिक अनुष्ठान कर अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास करते हैं।

वृहद आयोजन की तैयारियां

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ की तैयारियों को लेकर व्यापक योजनाएं बनाई हैं। प्रयागराज को भव्य रूप से सजाया जा रहा है, जहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बेहतर की जा रही हैं। आधुनिक तकनीकों और सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ इस ऐतिहासिक आयोजन को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में प्रयास जारी हैं।

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्म और एकता का प्रतीक है। यह आयोजन दुनिया को हमारी सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक ज्ञान की झलक देता है।

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