January 21, 2025 2:16 AM

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महाकुंभ 2025 : नागा साधुओं के रहस्यमयी जीवन की अनकही बातें

महाकुंभ 2025 : नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया, धुनि की परंपरा और निर्वस्त्र जीवनशैली से जुड़ी अनसुनी बातें, नागा साधु महाकुंभ की आध्यात्मिकता का एक प्रमुख हिस्सा हैं। उनकी परंपराएं, रहन-सहन और साधना कुंभ मेले की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ा देती हैं।

Sonprabhat Digital Desk

महाकुंभ 2025 : इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसका आरंभ 13 जनवरी को नागा साधुओं के शाही स्नान से होगा। महाकुंभ में हर बार की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में नागा साधु भाग लेंगे। आमतौर पर एकांतवास और हिमालय की दुर्गम चोटियों पर साधना में लीन रहने वाले ये साधु महाकुंभ में अद्भुत तरीके से समय पर पहुंचते हैं। यह रहस्य हर किसी को चौंका देता है कि आधुनिक साधनों के बिना भी उन्हें महाकुंभ के आयोजन की जानकारी कैसे मिलती है।

महाकुंभ की जानकारी नागा साधुओं तक कैसे पहुंचती है?

नागा साधु अपने गुरुओं और अखाड़ों से जुड़े होते हैं। सभी 13 अखाड़ों के कोतवाल महाकुंभ से पहले आयोजन की तिथियों और स्थान की सूचना देना शुरू कर देते हैं। स्थानीय साधुओं के माध्यम से यह जानकारी धीरे-धीरे दूर-दराज साधना में लीन नागा साधुओं तक पहुंचाई जाती है। कुछ लोग मानते हैं कि ग्रह-नक्षत्रों और योग सिद्धियों के माध्यम से भी नागा साधु महाकुंभ के समय और स्थान का पता लगा लेते हैं।

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धुनि का रहस्य:

नागा साधुओं के डेरों में धुनि जलाना एक अनिवार्य परंपरा है। इसे साधारण आग नहीं माना जाता, बल्कि विशेष मंत्रों और विधियों के साथ इसे प्रज्वलित किया जाता है। धुनि को जलाने के लिए गुरु के आदेश का होना अनिवार्य है। नागा साधु मानते हैं कि पवित्र धुनि के पास कही गई हर बात पूरी होती है। यात्रा के दौरान भले ही धुनि उनके साथ न हो, लेकिन जहां भी डेरा डालते हैं, वहां इसे जलाना प्राथमिकता होती है। धुनि के संरक्षण के लिए चिमटे का उपयोग भी साधुओं के लिए महत्वपूर्ण है।

निर्वस्त्र रहने का रहस्य:

नागा साधु प्राकृतिक जीवन को अपनाने में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि मनुष्य जन्म से निर्वस्त्र आता है और प्रकृति के करीब रहकर ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। वस्त्र धारण करना सांसारिक मोह-माया का प्रतीक माना जाता है, जिससे उनकी साधना भंग हो सकती है। योग और साधना के माध्यम से वे अपनी देह को हर परिस्थिति और मौसम के अनुकूल बना लेते हैं।

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महाकुंभ में नागा साधुओं का महत्व:

नागा साधु महाकुंभ की आध्यात्मिकता का एक प्रमुख हिस्सा हैं। उनकी परंपराएं, रहन-सहन और साधना कुंभ मेले की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ा देती हैं। नागा साधु अपने तप और ध्यान के माध्यम से समाज को आध्यात्मिक दिशा देने का कार्य करते हैं।

(Disclaimer: यह लेख धार्मिक आस्थाओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारियों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। सोनप्रभात लाइव न्यूज़ इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है।)

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