Sonprabhat News/Report: Suresh Gupta Co- Editor Singrauli
MP News: अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) रीवा से बड़ी खबर सामने आई है। विश्वविद्यालय से संबंधित इंदिरा कन्या कॉलेज सहित अन्य महाविद्यालयों में बीए, बीकॉम और बीएससी द्वितीय वर्ष का परिणाम घोषित किया गया, लेकिन इस बार एक हजार से अधिक छात्राओं का ऑनलाइन परिणाम शून्य कर दिया गया। इस घटना ने छात्राओं में गुस्से की लहर दौड़ा दी है, और वे अब अपने परिणामों को लेकर कड़ी नाराजगी जता रही हैं।
छात्राओं का परिणाम शून्य क्यों हुआ?
विवि द्वारा जारी किए गए परिणाम में एक बड़ी चूक सामने आई है, जिससे एक हजार से अधिक छात्राओं के कई विषयों के परिणाम शून्य कर दिए गए। इसके कारण छात्रों को न केवल शैक्षिक नुकसान हुआ है, बल्कि उनका मनोबल भी गिरा है। छात्राओं का आरोप है कि वे समय पर परीक्षा में उपस्थित हुई थीं और उनकी परीक्षा शुल्क भी सही तरीके से भरी गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों या प्रशासनिक चूक के कारण उनका परिणाम शून्य कर दिया गया।
छात्राओं का विरोध और विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी
इस घटना के बाद छात्राओं का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कई छात्राएं विवि प्रशासन से स्पष्टीकरण मांग रही हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है। छात्राओं का कहना है कि इस चूक के कारण उनकी मेहनत और समय दोनों का बेकार हो गया है। साथ ही, उन्हें मानसिक और शैक्षिक तनाव का सामना भी करना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं विश्वविद्यालय अधिकारी?
विवि प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहा है। हालांकि, छात्राओं का कहना है कि प्रशासन जल्द से जल्द परिणाम सही करे और उन्हें नुकसान की भरपाई की जाए।
छात्राओं की मांग
छात्राएं अब विश्वविद्यालय प्रशासन से यह मांग कर रही हैं कि उनका शून्य परिणाम जल्द ही सही किया जाए और उन्हें परीक्षा में सही अंक दिए जाएं। इसके साथ ही, छात्राओं ने प्रशासन से परीक्षा प्रणाली में सुधार की भी अपील की है, ताकि भविष्य में ऐसी तकनीकी और प्रशासनिक गलतियां न हों।
इस मामले ने विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। छात्राओं का कहना है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो वे और भी बड़े स्तर पर प्रदर्शन कर सकती हैं।
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के इस विवादित परिणाम ने छात्राओं के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है और अब सभी की निगाहें विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर हैं कि वह इस मामले को किस प्रकार सुलझाता है।
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