January 18, 2025 11:45 AM

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सोनभद्र : कनहर सिंचाई परियोजना अधर में, अरबों की लागत के बाद भी खेतों तक नहीं पहुंचा पानी  

Sonbhadra News/Report: जितेन्द्र कुमार चंद्रवंशी, ब्यूरो चीफ, सोनभद्र  

 

दुद्धी, सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के दुद्धी क्षेत्र में स्थित कनहर सिंचाई परियोजना, जिसे “ड्रीम प्रोजेक्ट” के रूप में देखा गया था, आज किसानों के लिए एक अधूरी उम्मीद बनकर रह गई है। दर्जनों गांवों के आदिवासी और गिरिवासी परिवारों के विस्थापन के बावजूद इस बहुप्रतीक्षित परियोजना से नहरों का निर्माण अभी तक अधूरा है, जिसके चलते खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है। परियोजना का उद्देश्य था कि इस क्षेत्र में हरियाली लाई जाए और किसानों के जीवन में खुशहाली आए, लेकिन हकीकत में अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी इलाके में मायूसी छाई हुई है।

विस्थापितों को मिला अधूरा मुआवजा  

परियोजना के चलते उत्तर प्रदेश के 11 गांव और छत्तीसगढ़ व झारखंड के 11 अन्य गांव पूरी तरह से डूब क्षेत्र में आ गए। प्रभावित परिवारों को सरकार द्वारा 7.11 लाख रुपये प्रति परिवार मुआवजा दिया गया, लेकिन कई विसंगतियों के चलते यह मुआवजा नाकाफी साबित हुआ। विस्थापितों के लिए जमीन, कुएं, तालाब और अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण भी अधूरा है। कई परिवार अभी भी अस्थायी मकानों में रहने को मजबूर हैं, जबकि परियोजना के तहत आवंटित 150 वर्ग फीट जमीन का कब्जा भी पूरी तरह से नहीं मिल पाया है।

केवल 20% नहर निर्माण पूरा

कनहर बांध से सिंचाई के लिए दाएं किनारे पर 120 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जानी थी, लेकिन अब तक केवल 20% निर्माण कार्य पूरा हो सका है। वहीं, बाएं किनारे की 125 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण भी केवल 15% ही हो पाया है। नहर की चौड़ाई नीचे से 2 मीटर और ऊपर से 5 मीटर निर्धारित की गई है। हालांकि, निर्माण कार्य में हो रही देरी के कारण किसानों की जमीन बंजर पड़ी हुई है, जिससे क्षेत्र में खेती की संभावनाएं धूमिल हो रही हैं।

 

कब आएगी हरियाली?

“कनहर बनाओ, हरियाली लाओ” के नारे के साथ शुरू की गई इस परियोजना से किसानों को बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन आज, खेतों में पानी न पहुंच पाने के कारण लाखों हेक्टेयर भूमि वीरान है। विस्थापित परिवार आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, और किसान अपनी बंजर जमीन देखकर निराश हैं।

 

यह परियोजना केवल एक सिंचाई परियोजना नहीं थी, बल्कि इसे क्षेत्र में समृद्धि और विकास का प्रतीक माना जा रहा था। लेकिन अब सवाल यह है कि कब इस अधूरी परियोजना का निर्माण पूरा होगा और कब किसानों के सूखे खेतों में हरियाली लौटेगी।

 

सरकार से उम्मीदें बाकी  

किसान अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार इस परियोजना को जल्द पूरा करेगी ताकि उनके जीवन में खुशहाली आ सके। अगर समय रहते नहर निर्माण पूरा नहीं हुआ तो न केवल अरबों रुपये की लागत व्यर्थ जाएगी, बल्कि किसानों के सपने भी टूट जाएंगे।

 

यह क्षेत्र आज भी उस दिन की राह देख रहा है जब कनहर परियोजना के जरिए हर खेत तक पानी पहुंचेगा और हरियाली के साथ किसानों की खुशहाली लौटेगी।

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