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म्योरपुर, सोनभद्र : जिले के दक्षिणांचल क्षेत्र में फ्लोराइडयुक्त जल से उत्पन्न समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा गुरुवार को बनवासी सेवा आश्रम, गोविंदपुर के विचित्रा महाकक्ष में एक महत्वपूर्ण जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 35 गांवों के लगभग 100 नागरिकों, छात्रों और स्थानीय प्रधानों ने भाग लिया।
94 गांव फ्लोराइड प्रदूषण से प्रभावित
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. के. स्वरूप ने बताया कि म्योरपुर, बभनी और दुद्धी ब्लॉकों के 94 गांवों में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। इस संदर्भ में आगामी दो वर्षों तक व्यापक अध्ययन और जल गुणवत्ता जांच करने की योजना बनाई गई है।

वैज्ञानिकों ने दी महत्वपूर्ण जानकारियां:
- भूजल में फ्लोराइड, आयरन सहित कुल 23 तत्वों की जांच की जाएगी।
- एम.एन.आई.टी. प्रयागराज इन ब्लॉकों में चट्टानों में फ्लोराइड की अधिकता की जांच करेगा।
- आई.एम.एस. बी.एच.यू. फ्लोराइड से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का अध्ययन करेगा।
- क्षेत्र में सुरक्षित जल स्रोतों की पहचान के लिए विशेष अनुसंधान किया जाएगा।
फ्लोराइड: “मीठा जहर” जो घटा रहा कार्यक्षमता
कार्यक्रम में एम.एन.आई.टी. प्रयागराज के प्रोफेसर एच.के. पांडेय ने फ्लोराइड को “मीठा जहर” करार देते हुए बताया कि दक्षिणांचल क्षेत्र में शुद्ध जल की कमी के कारण स्थानीय निवासियों की सेहत प्रभावित हो रही है, जिससे उनकी शारीरिक क्षमता घट रही है और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
बोरवेल सुरक्षा और समाधान पर हुई चर्चा
वैज्ञानिक विद्या भूषण ने बोरवेल में बच्चों के गिरने और इससे बचाव के उपाय पर चर्चा की और एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी प्रदर्शित की।
जल शुद्धिकरण को लेकर उठे सवाल
ग्रामीणों और छात्रों ने वैज्ञानिकों से जल में मौजूद पारा तथा उसके फिल्टरिंग उपायों को लेकर सवाल किए। इस पर वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि फिलहाल पारा की जांच इस अध्ययन का हिस्सा नहीं है, और फिल्टरिंग के लिए कोई विशेष युक्ति उपलब्ध नहीं है।
शुद्ध जल की उपलब्धता की उम्मीद
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शुभा प्रेम ने क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा करते हुए आशा जताई कि वैज्ञानिक जल शुद्धिकरण के प्रभावी समाधान उपलब्ध कराएंगे।
कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
जनसंवाद का संचालन वैज्ञानिक रेणु मेहरा ने किया, जबकि विमल सिंह ने सभी प्रतिभागियों और वैज्ञानिकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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