Sonbhadra News/Report: Sanjay Singh
सोनभद्र। दिसंबर के महीने की शुरुआत के साथ ही ठंड ने दस्तक दे दी है, लेकिन नगर में अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिले के सभी नगर निकायों, जिनमें रॉबर्ट्सगंज नगर पालिका और चुर्क/गुरमा, चोपन, दुद्धी, घोरावल, ओबरा, पिपरी, डाला और अनपरा नगर पंचायत शामिल हैं, में ठंड से बचाव के लिए अलाव जलाने की परंपरा रही है। इस बार दिसंबर का आधा महीना गुजरने को है, लेकिन अब तक न तो अलाव जलाए गए हैं और न ही इसकी कोई तैयारी दिख रही है।
गरीब और राहगीर हो रहे हैं प्रभावित
ठंड के बढ़ते प्रकोप का सबसे अधिक असर गरीब और राहगीरों पर पड़ रहा है। सुबह और रात की कड़ाके की सर्दी में राहत पाने के लिए लोगों को अपने स्तर पर अलाव की व्यवस्था करनी पड़ रही है। समर्थ लोग लकड़ियां खरीदकर आग जलाकर ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन गरीबों के लिए यह संभव नहीं है। जिनके पास न गर्म कपड़े हैं, न कंबल, और न ही रहने को छत, उनके लिए कड़ाके की ठंड में रात काटना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
पुलिसकर्मी और तीमारदार भी परेशान
ठंड का असर केवल गरीबों तक ही सीमित नहीं है। पिकेट पर तैनात पुलिसकर्मी भी लकड़ियां खरीदकर आग जलाने के लिए मजबूर हैं। वहीं जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मरीज तो वार्ड में सुरक्षित रहते हैं, लेकिन उनके तीमारदार ठिठुरते हुए अस्पताल परिसर में रात गुजारने को मजबूर हैं।
यात्रियों को हो रही दिक्कतें
रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड परिसर में भी ठंड से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं। यात्रियों को ट्रेन या बस का इंतजार करते हुए घंटों ठिठुरना पड़ रहा है। स्टेशन परिसर में निर्माण कार्य के कारण यात्री पहले ही असुविधा का सामना कर रहे हैं, ऊपर से रैन बसेरा की कमी उनकी मुश्किलें और बढ़ा रही है।
प्रशासन की उदासीनता से जनाक्रोश
नगर पालिका प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने जनता को निराश किया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अब तक अलाव जलाने के लिए टेंडर भी जारी नहीं किए गए हैं। यह स्थिति नागरिकों के बीच आक्रोश का कारण बन रही है। हर साल दिसंबर के शुरुआती दिनों में प्रमुख स्थानों पर 20-25 जगह अलाव जलाए जाते थे, लेकिन इस बार प्रशासन की लापरवाही से जनता ठंड में ठिठुरने को मजबूर है।
समाधान की मांग
नागरिकों ने प्रशासन से जल्द से जल्द अलाव की व्यवस्था करने और ठंड से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। अलाव जलाने की योजना लागू करने के साथ ही रैन बसेरों का प्रबंधन सुनिश्चित करना भी जरूरी है, ताकि ठंड से राहत मिल सके।
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