राजकीय बालिका हाईस्कूल में वसूला जा रहा मनमानी फीस, अभिभावक परेशान ,जांच की मांग

सोनभद्र -सोनप्रभात
वेदव्यास सिंह मौर्य
- नक्सल क्षेत्र में बालिका शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का शोषण।
- विद्यालय में निजी अध्यापक रखे गए हैं, उन्हें तनख्वाह देने के नाम पर वसूली जा रही ज्यादा फीस।
अत्यंत नक्सल प्रभावित विकास खण्ड नगवां के राजकीय बालिका हाईस्कूल सरईगढ़ में बालिकाओं से साल भर की पूरी फीस एक बार मे और ज्यादा भी अवैध फीस वसूले जाने का मुद्दा अभिभावकों ने उठाया है।एक तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र दुसरे असिंचित एरिया, तीसरे गरीबी भुखमरी से परेशान लाचार अभिभावक किसी तरह अपने बालिकाओं के भविष्य को लेकर आधी रोटी खाकर पढ़ाने की उम्मीद पाले हुए हैं ,लेकिन उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है।
- -प्रधानाचार्या विद्यालय कभी आई भी है ? -लोगों को याद नही ।
राजकीय बालिका हाईस्कूल सरईगढ़ विद्यालय पर श्रीमती सुमन सिंह निवासी वाराणसी की तैनाती प्रधानाचार्या के पद पर हुआ है। श्रीमती सुमन सिंह को सरईगढ़ का कोई भी ब्यक्ति नहीं पहचानता।क्योंकि वे कभी स्कूल पर आती ही नहीं।एक ऋतुराज नामक कलर्क की भी तैनाती है, लेकिन वे कहां रहते हैं? विभाग ही बता सकता है।प्रधानाचार्या के द्वारा दो प्राइवेट अन्ट्रेंड अध्यापक भरत सिंह पटेल नि.नवाडीह सरईगढ़ व राकेश कुमार चौहान पं दीनदयाल नगर चंदौली रखें गए हैं। फीस वसूली का भी जिम्मा उक्त दोनों निजी अध्यापक ही देखते हैं।

- फीस कितना ले रहे हैं ?
शोषण का तरीका यह निकाला गया है, कि प्रति बालिका से एक वर्ष का इकट्ठा फीस 1550रु0 (एक हजार पांच सौ पचास रुपए) जमा कराने के बाद ही एडमिशन होता है। जिसकी बाकायदा रसीद भी प्राइवेट टीचरों द्वारा दी जाती है।
यह रुपया किसके कहने पर लिया जाता है ? क्यों लिया जाता है? किस मद में जमा होता है? इसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है।
इस सम्बंध में जिला विद्यालय निरीक्षक से दूरभाष पर बात की गई तो उनका कहना था कि अभिभावकों से लिखित शिकायत कराइए तब देखेंगे। फीस के बारे में कहना था, कि अर्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा दोनों को मिलाकर छः सौ रुपये के करीब फीस होता है।अगर प्राइवेट टीचर रखे गए हैं तो उनका अलग से फीस लगता है। जब बालिकाओं को प्राइवेट टीचर से अलग से ही फीस जमा करके पढ़ना है, तो फिर राजकीय बालिका हाईस्कूल क्यों खोला गया है? यहां की टीचर जब महीनों मे एक दिन भी नहीं आती हैं ,तो किसकी जिम्मेदारी है?

इसी तरह सुअरसोत हाईस्कूल में भी मंजू यादव की तैनाती है , वहां भी सरईगढ़ का एक लड़का जाकर बैठता है।वहां जितने बालक बालिकाओं का एडमिशन हुआ है सभी प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। वह भी साल छः महिनें मे एकाध घंटे के लिए आती हैं।ऐसे में शिक्षा की उम्मीद करना सुर्य को दीपक दिखाने के जैसा है। किससे फरियाद की जाये ? क्षेत्रीय अभिभावकों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकर्षित कराते हुए जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है।