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संपादकीय : लोकतंत्र का पर्व गणतंत्र दिवस की धूम में आप खुद को कहां देखते हैं?

सोनभद्र/ सोन प्रभात – आशीष गुप्ता / सोन प्रभात (गणतंत्र दिवस विशेष) 

भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसको लोकतंत्र की जननी कहना अनुचित न होगा। विविधताओं वाले भारत राष्ट्र में इतनी एकता है कि सामाजिक सद्भावना के साथ यहाँ हर विचारधारा का सम्मान होता है। भारत को ऐसा राष्ट्र बनाने के लिए प्राचीन काल से ही हमारे पुरखों ने अनेक तप-त्याग और बलिदान दिए, जो कोई भी संसार का सताया हुआ आया, भारत के संस्कारों ने उसे दिल से गले लगाया। गुलामी के कालखंडों से गुजरने के बाद जब भारत आज़ाद हुआ तो हमारे पुरखों ने संविधान बनाकर हमारी प्राचीन सभ्यता, हमारे संस्कारों का सम्मान किया। भारत में संविधान लागू होने की तिथि को  के रूप में मनाया जाता है।

26 जनवरी तारीख क्यों चुनी गई?

15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिल गया था।  हालांकि, लगभग तीन साल बाद 26 जनवरी, 1950 को संविधान को अपनाने के साथ भारत ने खुद को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोषित किया। तब से यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी की तारीख को चुनने के पीछे एक किस्सा बताया जाता है। आइए जानते हैं –

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दिसंबर 1929 में लाहौर अधिवेशन में ऐतिहासिक ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया था।  इसी कड़ी में 26 जनवरी 1930 की तारीख को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। 26 जनवरी की तारीख के महत्व को बरकरार रखने के लिए इसी दिन साल 1950 में संविधान लागू किया गया, जिसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।

आप खुद को कहां देखते हैं?

प्रत्येक गांव के विद्यालयों, शिक्षण संस्थानों, दफ्तरों में ध्वजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, इस दिन हमें नौनिहालों से बहुत कुछ सुनने को मिल जाता है, उनके भाषणों में उनकी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में। यह दिन देश के लिए एक अलग जज्बा और उमंग से भरा होता है, जिसे प्रत्येक भारतीय महसूस करता है। इस लेख के अंत में आपको 75 वें गणतंत्र दिवस की आपार बधाई के साथ विराम देते हैं।

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