सिलाई मशीन और प्रमाण पत्र का किया गया वितरण
- स्वतन्त्र भारत की 1954 से एकमात्र लोककल्याण का कार्य करने वाली संस्था- वनवासी सेवा आश्रम।
दुद्धी – सोनभद्र
जितेंद्र चन्द्रवंशी – सोनप्रभात
- स्वावलंबी सिलाई स्कूल मास्टरों के नव दिवसीय प्रशिक्षण से आत्मनिर्भर होंगें कई गांवों के लोग
दलितों ,मजलूमों, विधवाओं, विकलांगो ,आदिवासियों के अभिवावक के रूप में कार्य कर रही संस्था।
दुद्धी तहसील के म्योरपुर ब्लॉक क्षेत्र स्थित बनवासी सेवा आश्रम में चल रहे 9 दिवसीय स्वावलम्बन सिलाई स्कूल मास्टरों का सोमवार को सिवली बैंक दिल्ली के प्रबंधक,शिवेन्दरम मौर्या,उषा इंटरनेशनल के हेड आलोक कुमार,एन टी पी सी सिंघरौली के सी एस आर प्रमुख आदेश पांडेय,एस बी आई शाखा के प्रबंधक आलोक कुमार के कर कमलों द्वारा प्रमाण पत्र और सिलाई मशीन वितरित कर किया गया।
इस दौरान श्री पांडेय ने कहा कि बनवासी सेवा आश्रम आदिवासी गिरिवासियो के बीच फैले अंधेरे में चिराग चला रहा है। 1954 से लेकर अब तक संस्थान ने शिक्षा,स्वास्थ्य,कृषि,पेयजल,सिचाई,पर्यावरण जैसे गंभीर समस्याओं पर काम कर रही है।स्वावलम्बन हमारे जीवन को आर्थिक विकास से जोड़ती है।आलोक कुमार और शिवेन्दरम मौर्या ने कहा कि महिलाओ ने जिस लगन और मेहनत से सिलाई के गुण सीखे है।वे कई डिजाइन और फैशन के जरिये आगे बढ़ेंगी। कहा गांव गांव में सिलाई मास्टर तैयार होने से रोजगार के अवसर पैदा होगा। बताया कि प्रत्येक मास्टर वर्ष में 20 महिलाओ किशोरियों को प्रशिक्षित करेंगी। शुभा बहन ने सभी आगन्तुको का स्वागत किया और आश्रम के कार्य पद्धति की जानकारी दी। इस दौरान कर्मा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयीं।
मौके पर सलमा,तैयब, नीरा बहन,डॉ विभा, विमल सिंह,देवकुमारी, देवनाथ,केवला प्रसाद ,पूजा विश्वकर्मा, आदि रहे। ज्ञात कराना है, कि जनपद सोनभद्र के पावन धारा बनवासी सेवा आश्रम गोविंदपुर आस्था और उम्मीद की एकमात्र किरण आत्मनिर्भर भारत के रूप में कार्य कर रही है अब तक संस्था के माध्यम से कई कद्दावर नेता भी संस्था ने दिया जिसमें पूर्व विधायक विजय सिंह गौड़ ,स्वर्गीय रामप्यारेपनीका आदि ने भी बनवासी सेवा आश्रम का अनुशासन अनुसरण कर सत्ता के गलियारों में भी अपनी गहरी पैठ बनाई परंतु संस्था अनवरत एक नदी की भांति सुगमता से कार्य सन 1954 से करते आ रही है जिसमें कितनों को रोजगार भूमिहीन को भूमि पट्टा जारी कर सन 1959 में प्रदान कराया गया जिस पर आदिवासी ग्रामीण और भूमिहीन गरीब सपरिवार काबीज है। सोनभद्र के इतिहास,व वर्तमान का स्वर्णिम काल का उद्गम स्रोत अगर संस्था को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।