gtag('config', 'UA-178504858-1'); "दिल मे हिंदुस्तान रखती हूं" कवि सम्मेलन में झूमे श्रोता। - सोन प्रभात लाइव
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“दिल मे हिंदुस्तान रखती हूं” कवि सम्मेलन में झूमे श्रोता।

सोनभद्र/ सोन प्रभात


सोनभद्र. छठपूजा व रामलीला के समापन पर शाहगंज के खैरा गांव मे जगदीश पंथी के अध्यक्षता व चंदौलीसे आये प्रकाश मिरजापुरी के सशक्त संचालन मे रविवार शाम से शुरू होकर भोर तक कविसम्मेलन चला।वाराणसी से आई कवयित्री पूनम श्रीवास्तव ने,दिल मे हिन्दुस्तान रखती हूं सुनाकर वाह वाही लूटीं। वाणी वंदना पगतल बना ले मैया भी सराही गई। अजयकक्का ने चीखने चिल्लाने का नहीं नाम है कविता दिलीप सिंह दीपक ने तुम सब कुछ बेंच दो लेकिन हिन्दुस्तान मत बेंचो सुनाकर व्यवस्था पर चोट किये।प्रेम पावस ने मंगल दीप जले घरघर मंगल दीप जले सुनाकर गतिज उर्जा प्रदान किये।

ईश्वर विरागी ने अक्षरोंमे घुली प्रीत की रागिनी सुनाकर खूब तालियां बटोरी।प्रभात सिंह चंदेल ने राष्ट्र वाद की रचना हिन्दुस्तान का ज़र्रा जर्रा जय भारत माता बोल उठेगा।सुनाकर देशभक्ति का जज्बा जगाया।राधेश्याम पाल ने झूठ जो छापते औ बेचते हैं,,सुनाकर विसंगति को उकेरा।बनारस के उमेशचंद दिवेदी ने नीक बरफी से गुड़वा लागै हो सुनाकर माटी की मोहक रचना बोली मे सुनाकर माहौल दिये।अहरौरा से नरसिंह साहसी ने हिलल हिलल भ इंसियां पानी मे सुनाकर लोगों को हास्य-व्यंग्य से खूब गुदगुदाये।ओज के सशक्त रचनाकार देश भक्ति के मुखर स्वर प्रद्युम्न तिवारी.एड ने,,सर कटाते रहेंगे वतन के लिए सुनाकर भारत माता व जय हिंद के नारों के बीच देश भक्ति की बात कर लोगों के दिल मे उतर गये।अलका आरिया राहुल कुशवाहा प्रवाह नाथ सोनांचली छोटेलाल मनमीत गोपाल कुशवाहा प्रमोद कुमार निर्मल सुनील च उचक बंधू पाल बंधू आदि कवियों ने सृंगार करुण रस न ई कविता छंद गीत गजल रुबाई सुनाकर समरसता एकता अखंडता गंगा जमुनी तहजीब की पंक्तियां सुनाकर माहौल को साहित्य मय कर दिये।संचालन कर रहे चंदौली से आये प्रकाश मिरजापुरी ने विविधतापूर्ण रचना मुक्तक छंद सुनाकर वाह वाही लूटी।अध्यक्षीय काव्य पाठ कर ते हुये जगदीश पंथी ने,,लोकधुन पर आधारित रचना,ए मोर बाबू ए मोर भैया सुनाकर मजलूम की पीर को उकेरा।मुख्य अतिथि यू टयूबर विजय कुमार विशिष्ट अतिथि कमलेश यादव प्रधान संयोजन सुनील भारती अनिल भारती ने आभार व्यक्त किए। इस अवसर पर सैकडो लोग भोर तक जमे रहे और कवियों का अंतिम समय तक कवियों को सराहते रहे।

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