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चर्चित चेयरमैन इम्तियाज हत्याकांड : कोर्ट ने की सीबीसीआईडी रिपोर्ट खारिज।

सोनभद्र- सोनप्रभात – वेदव्यास सिंह मौर्य

  • अग्रिम विवेचना और इंस्पेक्टर के खिलाफ जाँच का आदेश।
  • सीबीसीआईडी ने दो नामजद सहित तीन को दी थी क्लीन चीट।
  • कोर्ट के सामने पहुंचा मामला तो मिली कई त्रुटिया।

चोपन सोनभद्र। बहुचर्चित चेयरमैन इम्तियाज हत्याकांड के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में दो नामजद आरोपियों सहित तीन को क्लीनचिट देने की रिपोर्ट खारिज कर दी गई है। विवेचना में बरती गई लापरवाही को लेकर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने जहां, विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया है। वहीं, मामले की अग्रिम विवेचना सक्षम विवेचक से कराए जाने का आदेश पारित किया गया है। आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी खंडाधिकारी, अपराध शाखा, अपराध अनुसंधान विभाग, खंड वाराणसी को दी गई है और विवेचना उपरांत धारा 173 (2) सीआरपीसी के तहत आख्या से यथाशीघ्र अवगत कराने के लिए कहा गया है। आदेश की प्रति प्रमुख सचिव गृह (पुलिस) को भेजते हुए, मामले में अगली सुनवाई की तिथि 16 अगस्त तय की गई है।


बता दें कि अक्टूबर 2018 में चोपन नगर पंचायत चेयरमैन इम्तियाज अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मौके से एक कार्बाइन के साथ झारखंड के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के एरिया कमांडर कश्मीरा पासवान को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, मौत होने से पूर्व दी गई जानकारी के आधार पर उनके भाई उस्मान ने प्रमुख खनन व्यवसाई रवि जालान और राकेश जायसवाल के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दौरान विवेचना उपरोक्त आरोपियों के अलावा रिंकू भारद्वाज उर्फ चंद्रप्रकाश राजभर, सूरज पासवान, पवन चौहान, रवि कुमार गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार, अरविद केशरी और कृष्णा सिंह का नाम प्रकाश में आया। नामजद आरोपियों को छोड़कर कश्मीरा सहित आठ के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र प्रेषित कर दिया गया। वहीं नामजद आरोपी राकेश जायसवाल, रवि जालान,
अखिलेश ठाकुर, संतोष पासवान, शशि कुमार चंद्रवंशी, शिवेंद्र मिश्रा उर्फ सर्वेंद्र कुमार मिश्रा के विरुद्ध विवेचना जारी रही। बाद में शासन स्तर से जांच सीबीसीआईडी सेक्टर वाराणसी को सौंपी गई। हाई कोर्ट में मामला पहुंचने पर इस आदेश को निरस्त कर दिया गया और शासन को छह सप्ताह के भीतर विवेचना के लिए किसी एजेंसी का निर्धारण करने का आदेश दिया गया। प्रकरण की विवेचना पुनः प्रभारी निरीक्षक थाना चोपन प्रवीण कुमार सिंह द्वारा शुरू की गई लेकिन पुनः गृह विभाग, उप्र द्वारा प्रकरण की विवेचना सीबीसीआइडी को संदर्भित कर दी गई। सीबीसीआईडी के तरफ से दोबारा सौंपी गई।

विवेचना, निरीक्षक अवधेश कुमार सिंह को सौंपी गई। उन्होंने शेष आरोपियों में से अखिलेश ठाकुर, संतोष पासवान और शशि चंद्रवंशी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। जबकि नामजद आरोपी राकेश जायसवाल, रवि जालान के अलावा सर्वेद्र मिश्रा को क्लीन चिट देते हुए अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। मामले में इम्तियाज के भाई उस्मान ने प्रोटेक्ट प्रार्थना पत्र दाखिल किया। सत्र न्यायाधीश और हाईकोर्ट से दिए गए निर्देश के क्रम में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सूरज मिश्रा की अदालत ने तथ्यों का विस्तृत परिशीलन किया। दोनों पक्षों की दलीलों, उनके द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को विधिक कसौटी पर कसने के बाद, अदालत ने सीबीसीआईडी की रिपोर्ट खारिज कर दी।

कोर्ट ने इन आधारों को बनाया रिपोर्ट अस्वीकार करने का आधार
वादी अधिवक्ता मो. अमन खान ने बताया कि पत्रावली में उपलब्ध कागजातों का अवलोकन करने पर कोर्ट ने पाया कि जिन साथियों ने दो विवेचकों के सामने नामजद आरोपियों की संलिप्तता कबूली। वहीं, अवधेश के सामने पलट गए। ऐसा क्यों किया गया। इसके बारे में विवेचक ने न तो पूछताछ की जरूरत समझी, न ही इसकी सच्चाई जांचने की कोई प्रक्रिया ही अपनाई। जबकि विवेचना के दौरान यह तथ्य पूर्व में ही प्रकाश में आ चुके थे कि हत्या के वारदात की प्लानिंग पश्चिम बंगाल में की गई और इसके एवज में नामजद आरोपियों की तरफ से अच्छी खासी रकम विभिन्न खातों में स्थानांतरित की गई लेकिन इस पर जांच की जरूरत नहीं समझी गई। कोर्ट ने अपर जिलाधिकारी की जांच को भी संज्ञान में न लिए जाने के मामले को विवेचना में त्रुटि माना। इसी तरह एक ही तिथि में एक साथ दो साक्षियों के शपथ पत्र के लिए स्टांप की खरीदारी और उनका अलग-अलग तिथियों में संपादित करने की हुई कार्रवाई सहित विवेचना में कई और त्रुटियां पाई गई। मोबाइल लोकेशन, सीडीआर जांच के तरीके पर भी सवाल उठाए गए हैं। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन के दौरान मिली त्रुटियों को दृष्टिगत रखते हुए सीजेएम सूरज मिश्रा की अदालत ने जहां सीबीसीआईडी को मामले की अग्रिम विवेचना किसी सक्षम विवेचक से कराए जाने का आदेश दिया। वहीं विवेचना में लापरवाही बरतने वाले इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह के खिलाफ नियमानुसार विभागीय जांच की प्रक्रिया अपनाने का भी आदेश पारित किया। वादी और आरोपी दोनों पक्ष जिले के महत्वपूर्ण व्यक्तियों में शामिल है। इसलिए आगे की जांच का क्या निष्कर्ष निकलता है। इस पर सभी की निगाहें टिक गई हैं।

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