विश्व स्ट्रोक दिवस 29 अक्टूबर पर विशेष जानकारी- डॉ.निखिल कुमार साहू
जौनपुर – सोन प्रभात / यू. गुप्ता
डॉ.निखिल कुमार साहू B.P.T., M.P.T.(NEURO) के अनुसार लकवा से निजात पाने में फिजियोथेरेपी जरूरी है।
ब्रेन स्ट्रोक या लकवा एक आपातकालीन स्थिति है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते है। ब्रेन में रक्त प्रवाहित करने वाली किसी नसों मे अचानक रक्त का थक्का जमने या रक्त प्रवाह रुक जाने से दिमाग अपना काम ठीक से नहीं करता है। इस स्थिति को ब्रेन स्टोक कहते है। ब्रेन से ही शरीर की समस्त क्रियाए नियंत्रित होती है। जैसे – चलना, उठना,बैठना इत्यादि। इसलिए ब्रेन में समस्या आने पर लकवा की परेशानी सामने आती है। लकवा की समस्या से निजात पाने के लिए आज के युग मे फिजियोथैरेपी बहुत ही जरूरी है। डॉक्टर्स के द्वारा बताई गयी दवा को खा से लेने के साथ-साथ फिजियोथेरेपिस्ट की भी मदद लेना जरूरी है।
प्रमुख जाँचे :- ब्रेन स्ट्रोक से ब्रेन का कितना हिस्सा प्रभावित हुआ है। यह जानने के लिए सीटी स्कैन , एम आर आई आदि कराते है। सामान्य जाँचो के रूप में बीपी व डायबीटीज से जुड़े टेस्ट कराए जाते हैं।
लकवा होने के कारण :- हाई बीपी, मोटापा, घूम्रपान, हृदय संबंधी बीमारी, डायबिटीज आदि प्रमुख कारण है।
लोकेशन पर निर्भर करती है स्ट्रोक की स्थिति :-
ब्रेन के दाएँ हिस्से से शरीर का बायाँ हिस्सा नियंत्रित होता है और बाएँ हिस्से से दाएँ भाग का नियंत्रण होता है। यदि ब्रेन के बाएं हिस्से की नस ब्लाँक होगी तो लकवा शरीर के दाएँ हिस्से मे होगा। यदि ब्लॉकेज दाएँ हिस्से हिस्से में होगा तो लकवा बाएं हिस्से में होगा।