कविता -: देखो! फागुन आया क्या? – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”

कविता -: सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”- सोनप्रभात / विन्ध्यनगर – सिंगरौली
– देखो! फागुन आया क्या?
देखो !! फागुन आया क्या?
फूलों ने क्या पंखुडी खोली,
भौरा फिर मंडराया क्या?
आबो हवा क्या तेजाबी है,
या मौसम मदमाया क्या?
गाय चराने गया था कान्हा,
वापिस लौट के आया क्या?
रंगो की भरमार लगी है,
कोई गुलाल भी लाया क्या? छोटा बच्चा क्यूँ रोता है,
झगड़ा कर के आया क्या?
ढोल मजीरे सा रा रा रा ,
कोई गली में गाया क्या?
बूढ़ी माँ फिर क्यूँ उदास है,
नया समाचार कुछ आया क्या?
फगुआरे हर द्वारे गाएँ,
गुजिया कोई लाया क्या?
राम लाल औ मियाँ हुसैन ने,
मिलकर फगुआ गाया क्या?
मौसम क्यों सूना सूना सा,
देखो बादल छाया क्या?
गोपी राह निहारे अब भी
फिर से कान्हा आया क्या?– सुरेश गुप्त ”ग्वालियरी”
सोनप्रभात परिवार के तरफ से होली की अग्रिम शुभकामनाएं।