कस्तूरबा गांधी विद्यालय को बंद करना आदिवासी-दलित विरोधी- जितेंद्र धांगर

सोनभद्र – सोनप्रभात
जितेंद्र चन्द्रवंशी
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा कस्तूरबा गांधी विद्यालय को बंद कर इसकी बच्चियों का परिषदीय विद्यालयों में दाखिला कराने का शासनादेश के खिलाफ आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्यसमिति के सदस्य जितेंद्र धांगर ने कड़े शब्दों में विरोध जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने यह साबित कर दिया कि प्रदेश कि आरएसएस-भाजपा की योगी सरकार आदिवासी, दलित व पिछड़ा विरोधी सरकार है, इस आदेश में कहा गया है , कि प्रदेश की सभी कस्तूरबा गाँधी विद्यालयों को बंद करके बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई हेतु परिषदीय विद्यालयों में दाखिल किया जाये , जिससे प्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े समाज में आक्रोश है। क्योंकि इस विद्यालय को 2004 में प्रदेश की अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा देने हेतु प्रारम्भ किया गया था l
इन आवासीय विद्यालयो में बच्चियों को नि:शुल्क खाना व कपड़ा भी मिलता रहा है,लेकिन कोविड -19 का हवाला देकर सरकार इसे बंद करने का शासनादेेेस जारी कर दिया l आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्यसमिति के सदस्य जितेन्द्र धांगर ने इस पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि आनलाइन पढाई के लिए इन स्कूलों को बंद करके परिषदीय विद्यालयों में दाखिल कराने का सरकारी तर्क दोषपूर्ण है और ईमानदार नहीं है l ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था तो इन आवासीय विद्यालयों में भी की जा सकती है l सरकार व्यवस्था करने के बजाय इसे बंद कर रही है l आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट इसका विरोध करता है, और इसके विरुद्ध दलित, आदिवासी समाज में जनजागरण और हस्ताक्षर अभियान चलाएगा और सरकार कि इस नीति का भंडाफोड़ करेगा।
उन्होंने कहा कि सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जैसे आदिवासी-दलित बाहुल्य जिलों में आदिवासी, दलित बच्चियां इन विद्यालयों में शिक्षा पाती थी अब वो भी शिक्षा से वंचित हो जायेगी। प्रदेश की आरएसएस-बीजेपी की सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग के बच्चे बच्चियों को शिक्षा से दूर रखना चाहती है। इस विद्यालय के बंद हो जाने से इन वर्गों की बच्चियां हमेशा -हमेशा के लिए शिक्षा से वंचित हो जाएंगी। जहां जनपद सोनभद्र में दुद्धी विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और एक बड़ा तबका इस विद्यालय से लाभान्वित होता है , शिक्षार्थियों को निशुल्क भोजन , हॉस्टल की सुविधा कपड़ा आदि व्यवस्था सरकार के द्वारा मुहैया कराई जाती रही है अगर इसे परिषदीय विद्यालय से जोड़ दिया जाता है तो निश्चित रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र के गोड़, ,खरवार,पनिका ,पठारी ,चेरो ,बईगा ,हरिजन आदि अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे । जिसे जनहित को ध्यान में रखते हुए स्टेट का दर्जा प्राप्त दुद्धी तहसील की पहचान आदिवासी है और बिन शिक्षा के जीवन अधूरा है। शिक्षा से वंचित आदिवासी होने के कारण नक्सली और तमाम सारे अपराध के दलदल में जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।