सोनभद्र की आत्मकथा, पढ़े सोनभद्र का वर्णन करती मदन चतुर्वेदी की लिखी ये बेहतरीन कविता।
सोनभद्र की आत्मकथा (कविता)
By- Madan Chaturvedi/ Sonprabhat
मैं उ.प्र. का लायक बेटा
सोनभद्र कहलाता हूं।
राज्य के दक्षिण में स्थित
सीमा यूपी की दिखलाता हूं।।बिहार झारखंड छत्तीसगढ़
म०प्र० मेरे श्री चाचा जी हैं।
मिर्जापुर चन्दौली मेरे भाई
हम सभी एक वंश के हैं।।उत्तर में अहरौरा घाटी
दक्षिण रिहन्द जलाशय है।
पूरब में नगवां बांध बना
पश्चिम कुड़ारी धाम देवालय है।।मेरे पुत्र हैं शूरवीर मन निर्मल शतपथ गामी हैं।
जल जंगल पर्वत पर निर्भर
वनदेबी देव पुजारी हैं ।।करमा जतसर डोमकच नटुआ
प्राचीन गीत लोरिकायन है।
जा पर हमरे बालक थिरकैं
गीत के बोल रामायन है।।ढ़पला मोरविन घुघरु घुघरा
झांझ ढ़ोल नगारा टईया।
मानर तुरही मादल सिंघा
है मोर पुरान बाजा भईया।।शिवद्वार सुदेश्वरीदेवी गौरीशंकर और बरैला मंदिर
नलराजा झारखंडे महादेव
मछोदर नाथ श्री अमिला मंदिर।।किला विजयगढ़ स्थित मंदिर, मऊ कला के बुद्ध भगवान।
कण्वकोट के गिरजा शंकर
चुड़िहर देवी मंगेश्वर नाथ ।।कुड़ारी माई अगोरी की मां दुर्गा
गोठानी के भोले नाथ ।
जिरही माता जोंगईल वाली
वैष्णोदेवी भुतेश्वर नाथ ।।ज्वालामुखी देवी राधाकृष्णा
व औड़ीमोड़ के हनुमत नाथ।
पनारी के सोनईत डीह बाबा
पंचमुखी के भोले नाथ ।।मेरे पास चार रियासत भी थी
बड़हर विजयगढ़ अगोरी खास।
डूबी रिहन्द में रियासत सिंगरौली
डूबा किला सिंगरौली खास।।
डूबा शीशमहल सिंगरौली
हाट बजार खैरवा थाना।
डूब गये गांव अनेक धन सम्पति बाग सभ्यता नाना।किला विजयगढ़ अति पुरातन
रहस्यमयी तालाब है सात ।
जिसके खंडहर आज बिराजे
कर रहे प्रदर्शित वैभव खास ।।किला अगोरी सोन किनारे
जिसके राजा बालंदशाह ।
लोरिक मंजरी की प्रेम कहानी अमर हुई जन जन के साथ।।
मेरी जल शक्ती की रानी
कनहर रेणु सोन सतबहनी।
पांगन बिजुल घाघर बेलन
अपने जल से शीतल करती।।मेरे दर्शनीय स्थल अब देखो जहां प्रकृति का यौवन लाल। रिहन्द बांध बेलवादह अबाड़ी हाथीनाला मुख्खाफाल।।
लेखनिया गुफा ब्लैकबक अभ्यारण
इको प्वाइंट फासिल्स पार्क।
चिल्ड्रेन पार्क डोंगियानाला
लोरिकपत्थर अमदहा प्रपात।।मैं खान खनिज का भी मालिक
उर्जा की राजधानी हूं।
बाक्साइट चूना पत्थर सोना कोयला नदी रेत का मालिक हूं।।बिजलीघर व कोयला खाने
गिट्टी सिमेन्ट का हूं दाता ।
जिससे भारत में उर्जा की
भरपाई हूं कर पाता ।।फिर भी मेरे संतानो को अब भी दुख सहना पड़ता है ।
जब भी वह तहसील को आते पैदल ही चलना पड़ता है ।।
मेरे पास आज भी मेरे पुत्रों के चलने लायक सड़क नही है।
बिजली पानी सड़क विद्यालय
रहने लायक घर भी नही है।।
मेरे संतानों की बिमारी का
अबतक कोई उपचार नही है ।
गांवों में यदि बिमार हुआ तो
एम्बुलेन्स को राह नही है ।।कारखानों की धूल प्रदूषण
अभिशाप बना जनजीवन पर। पशु पंक्षी मानव पर संकट जंगल मरे अवैध कटानो पर ।।मेरे वीर बालक बलिदानी
आगे रहे सदैव संग्रामों में।
जिनकी वीरता की गाथायें
हैं अंकित बलिदानी उद्यानों में।।सड़क व रेल यातायात की सुबिधा अभी बहुत कुछ बाकी है। म्योरपुर में हवाईयात्रा की सुविधा
भी आगे बढ़ती जाती है ।।शाशन का अब ध्यान है मुझ पर फिर भी काम अधुरा है ।
मैं जितना राजस्व हूं देता
उसका कुछ अंश ही लगता है।।कुछ स्वार्थी तत्व भी है जो
साधन का शोषण करते है ।
वे कलयुग के दुर्योधन हैं जो
चीर हरण भी करते है ।
मैं अब भी सर्वांगीण विकास की राह देखता रहता हूं।
अपने बेटों के उज्जवल भविष्य की आस लगाये रहता हूं ।– एड. मदन चतुर्वेदी (सोनभद्र)
यह कविता सोनभद्र के एड. मदन चतुर्वेदी द्वारा लिखित है, आप भी अपने लेख/ कविताएं सोन प्रभात के न्यूज फीड पर प्रकाशित कराना चाहते हैं, तो संपर्क करें। व्हाट्सएप/ – 81 729 67890, ईमेल